000 | 01732nam a2200121Ia 4500 | ||
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008 | 200625s2019 ii 000 1 hin d | ||
020 | _a9789353490003 | ||
100 | _aChatursen, Aacharya | ||
245 |
_aVaishali ki nagarvadhu / _cAacharya Chatursen. |
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260 |
_aHaryana : _bHind Pocket Books, _c2019. |
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500 | _aवैशाली की नगरवधू एक क्लासिक उपन्यास है जिसकी गणना हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ उपन्यासों में की जाती है। इस उपन्यास के संबंध में आचार्य चतुरसेन जी ने कहा था:- ‘‘मैं अब तक की अपनी सारी रचनाओं को रद्द करता हूँ और वैशाली की नगरवधू को अपनी एकमात्र रचना घोषित करता हूँ।’’ इसमें भारतीय जीवन का एक जीता-जागता चित्र अंकित है। उपन्यास का मुख्य चरित्र स्वाभिमान और दर्प की साक्षात मूर्ति, लोक-सुन्दरी अम्बपाली, जिसे बलात् वेश्या घोषित कर दिया गया था, और जो आधी शताब्दी तक अपने युग के समस्त भारत के सम्पूर्ण राजनीतिक और सामाजिक जीवन का केंद्र-बिंदु बनी रही| | ||
942 |
_2z _cPBK |
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999 |
_c15757 _d15757 |