000 | 01415nam a2200157Ia 4500 | ||
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020 | _a9780143068068 | ||
100 | _aSirshree. | ||
245 | 0 |
_aNishabd samvad ka jadoo : _bjeevan ki 111 jigyasaon ka samadhaan / _cSirshree. |
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260 |
_aGurgaon, India : _bPeguin Books, _c2009 |
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300 | _a148p. | ||
520 | _aसत्य को प्राप्त करने की प्रबल इच्छा ने उन्हें अपना शिक्षण कार्य त्यागने पर मजबूर कर दिया। चिंतन की एक लंबी अवधि के बाद, उनकी आध्यात्मिक खोज परम सत्य की प्राप्ति के साथ समाप्त हुई। सरश्री कहते हैं, "सत्य की ओर ले जाने वाले सभी मार्ग अलग-अलग तरीके से शुरू होते हैं, लेकिन एक ही तरह से समाप्त होते हैं - समझ के साथ। समझ ही सब कुछ है। इस समझ को सुनना ही सत्य को प्राप्त करने के लिए पर्याप्त है | ||
546 | _aText in Hindi | ||
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942 | _cDBK | ||
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